30 अप्रैल यानी आज से चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है. आज गंगोत्री और यमुनोत्री का कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं. अब 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे. यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. आपने केदारनाथ मंदिर के बारे में तो बहुत सुना होगा, लेकिन क्या आप पंचकेदार के बारे में जानते हैं. भगवान शिव को समर्पित पंचकेदार उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है और मान्यता है कि इनका निर्माण पांडवों व उनके वंशजों द्वारा किया गया था.
इनमें से केदारनाथ, मध्यमेश्वर, तुंगनाथ और रुद्रनाथ के कपाट शीतकाल में बंद रहते हैं. जबकि कल्पेश्वर धाम पूरे वर्ष श्रद्धालुओं के लिए खुले रहते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इन मंदिरों के दर्शन मात्र से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आइए आपको पंचकेदार की महिमा और इनके कपाट खुलने की तारीख के बारे में बताते हैं.
केदारनाथ धाम
समुद्र तल से 11,657 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहां भगवान शिव के बैल रूप में पीठ के दर्शन होते हैं. वर्ष 2013 की भीषण आपदा में भी यह मंदिर सुरक्षित रहा, जो इसकी दिव्यता का प्रमाण है. इस वर्ष केदारनाथ के कपाट 2 मई 2025 को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे.

मध्यमेश्वर धाम
रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 11,470 फीट की ऊँचाई पर चौखंभा शिखर की तलहटी में स्थित यह मंदिर द्वितीय केदार के रूप में प्रसिद्ध है. यहां शिव के मध्य भाग की पूजा की जाती है. मान्यता है कि यहीं भगवान शिव और माता पार्वती ने एक रात्रि व्यतीत की थी. इस वर्ष मध्यमेश्वर के कपाट 21 मई 2025 को खोले जाएंगे.
तुंगनाथ धाम
तुंगनाथ मंदिर भारत का सबसे ऊँचाई पर स्थित शिव मंदिर है. यह रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जहां शिव के धड़ की पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यता अनुसार, पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु इस मंदिर का निर्माण कराया था. इस वर्ष तुंगनाथ के कपाट 2 मई 2025 को श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे.
रूद्रनाथ धाम
चमोली जिले में स्थित रुद्रनाथ धाम को चतुर्थ केदार के रूप में जाना जाता है. यह भारत का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान शिव के मुख की पूजा होती है. शिव के मुख स्वरूपों की पूजा रुद्रनाथ, पशुपतिनाथ और इंडोनेशिया में होती है. इस वर्ष रुद्रनाथ मंदिर के कपाट 18 मई 2025 को खोले जाएंगे.
कल्पेश्वर धाम
पंचम केदार के रूप में प्रसिद्ध कल्पेश्वर धाम चमोली जिले में समुद्रतल से 2134 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है. यहां भगवान शिव के जटा रूप की पूजा होती है. इस स्थान तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 10 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है. यही एकमात्र पंचकेदार है, जो पूरे वर्षभर दर्शन हेतु खुला रहता है. कहते हैं कि इस स्थल पर दुर्वासा ऋषि ने कल्प वृक्ष के नीचे घोर तप किया था. तभी से यह स्थान कल्पेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ.